Monday, 18 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना

गजनवी के १७ आक्रमणों की लूट के बाद भी इस अकूत संपत्ति के मिलने पर भारत सोने की चिड़िया वाली  कहावत बदल कर भारत सोने का हाथी था कर देनी चाहिए. प्रत्येक भाव के केंद्र में धर्म को लिए हमारे  देश को धर्म ने आज इतना संपन्न कर दिया कि कितने ही विकास कार्यक्रम और चला सके , देश का कोई आदमी भूख से न मरे




धर्म को आधार बना का 'कर' व 'लगान' से एकत्र की यह सम्पदा चिर प्राचीन काल से वर्तमान तक सरकार व्दारा आम जनता के शोषण का प्रतीक है

Thursday, 14 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना

जिस सहज सरल स्वभाव व शालीनता के लिए भारतीय नारी जानी पहचानी जाती है, वे सद्गुण तुम्हे छूकर भी नहीं निकले है . अभिमान से घिरा तुम्हारा सोंदर्य अस्तित्व हीन है

.

.
भारत में आज भी सोंदर्य के पर्याय मौजूद है जिनके सामने पाश्चात्य सुन्दरता भी धराशायी है. विश्व सुंदरी तुमने इसी सौन्दर्य को प्रतिपादित कर भारत को गौरवान्वित किया है .

Wednesday, 13 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना

हिमालय की कन्दराओ में अपना सर्वस्व त्याग कर सर्व कल्याण हेतु तप करने वाले सन्यासियों की परिभाषा वर्तमान परिद्र्श्य में बदल गयी है . विडम्बना है कि त्याग की इस तपोभूमि के आजकल के स्वामी प्रसिद्धी की लिप्सा लिए ; आत्म सुरक्षा की दुहाई देते हुए महिला वस्त्र पहन कर बच निकलने से भी गुरेज नहीं करते 
नवीन युवती अवतार ; मजेदार मजेदार , क्यों न स्वामी जी को अपना नया ड्रेस कोड यही बना लेना चाहिए .
.

.
.
पहली बार भारतीयों को स्वामीजी को सोभाग्य से पूर्ण वस्त्रो में देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ . कुछ भी कहिए महिला वस्त्र धरे इस युवती अवतार में स्वामी जी खूब जँच रहे थे. स्वामी जी ने एक लाख की भीड़ में पुरुषों की बजाय महिला वस्त्र अपना कर महिला सशक्तिकरण का उदहारण पेश किया है, परन्तु देश का पेसा देश में वापस लाने की लड़ाई इस सरकार से जारी रखने के लिए ऐसा करना जरुरी भी था, स्वामी जी अपने मिशन में लगे रहिये .....

Sunday, 10 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना


 लाल कालीन पर चलने वाले ये कदम कीचड़ में चलने का भी साहस रखते है .
देख लीजिये राहुल बाबा ! यह कांग्रेस के ५५ साल के शासन की उपलब्धि आज आपके सामने है.

Saturday, 9 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना

मखमली बिस्तर पर पले इस राजकुमार में ही इतनी ताकत थी कि INDIA से भारत का फासला तय कर पाता व महसूस कर पाता इस दर्द को . मैं और आप भी जिन रास्तो पर चलने से घबराते हेँ उन रास्तों कि चुभन व तपिश भी फूलों में पले इस राजकुमार के इरादों के आरे न आ पाई .
...यूँ पल भर बोझ उठा कर दिखाना , आपकी तो बस अदा है जो कल अखबार की सुर्खियाँ बन बहुत लोगों के आकर्षण का कारण बनेगी, पर ब्रांडेड कपडे व जूते पहन कर प्लास्टिक का टब हाथ में लिए साहब आप क्या जान पायेगें, इन पथरीले रास्तों की चुभन और ताउम्र न ख़त्म होने वाली बोझ उठाने की सजा को . आपकी ये अदा आपको तो आपके इरादों में सफलता दिला देगी पर उसकी जिन्दगी को कितना बदल पायेगी?