Sunday 10 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना


 लाल कालीन पर चलने वाले ये कदम कीचड़ में चलने का भी साहस रखते है .
देख लीजिये राहुल बाबा ! यह कांग्रेस के ५५ साल के शासन की उपलब्धि आज आपके सामने है.

11 comments:

  1. rahul baba ab aap dusro par kichad mat uchala karo , kapde apke hi kharab hoge, kyoki ye kichad to nehru gandhi khandan ki bapoti rahi kongres k svarnim akchatra raj ki hi den he / sohan

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  3. .....Shabd sanyojan kafi acha hai Diiiii....!!!
    ...Wese mere vichar me ye vyaqti itni ahmiyat nahi rakhta k..mai iske karyo per prtikriya du..!!!
    ...Bharat jaisye Loktantrik desh ki samsyao ko Adhinayekwad ka daman pakdne wale kabhi hal nahi kar sakte..!!
    ....ye keval apne khandani vyapar ko badha raha hai bas..!!!
    ... :-\

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  4. desh ka bhavishya patharo par ...............

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  5. सच कहा है की हर चीज़ को देखने के दो नज़रिए हो सकते हैं .....क्या कहते हैं मेरे नैना ???
    जहाँ तक सवाल है मेरे नैनो का ...मैं तो यहाँ देख रही हूँ एक ऐसा इंसान जिसने अपने पिता को 21 साल की उम्र में बहुत ही दर्दनाक हादसे में खो दिया था ...जिसकी माँ एक ऐसे समाज और वातावरण में पली बढ़ी जिसका भारतीय राजनिति की कीचड़ और भारत की कीचड़

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  6. से दूर दूर तक का कोई नाता नही है ..शायद ये सब चीज़े उस औरत के लिए एक दम नयी रही होंगी जब उसने राजीव गाँधी को जाना होगा..और इस से पहले की वो इस सब में खुद को ढाल पाती उस से पहले उसके जीवनसाथी ने उसका साथ छोड़ दिया ....खैर यहाँ सवाल ये नही कि सोनिया गाँधी ने क्या क्या समर्पण किये और वो कैसी महिला है ..प्रश्न ये है कि राहुल गाँधी कि इस पदयात्रा का क्या औचित्य है ......
    मुझे लगता है इस बात पे तो हम सब लोग हे सहमत हो सकते हैं कि हम लोग जो भी काम करते हैं किसी न किसी मकसद जिसे कुछ लोग स्वार्थ भी कहते हैं , के लिए ही करते हैं ..चाहे कोई गरीब हो अमीर हो ...बच्चा हो बूढ़ा हो ...भारतीय हो या अमरीकी ....हमारे हर काम हर सोच के पीछे कोई न कोई वजह छुपी होती है....फरक सिर्फ इतना है कि अपने कामों कि वजह को हम वजह कहते हैं और दूसरो के कामों को स्वार्थ का नाम भी देने से नही चूकते

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  7. ये तो स्वाभाविक सी बात है कि राहुल गाँधी सिर्फ देश का कल्याण करने के लिए तो पथरो पे नही चल रहा है उसके हर काम हर पदयात्रा के पीछे मकसद सत्ता के सर्वोच्च पद तक पहुंचना ही है ...लेकिन मेरे नैना ये भी देख रहे हैं कि देश का कोई भी और नेता आज के समय पे पद यात्रा करने कि हिम्मत नही दिखाता ..सत्ता कि भूख तो सभी को है ...लेकिन उसके लिए क्या हथकंडे अपनाए जा रहे हैं क्या ये कोई मायने नही रखता ...

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  8. अंत में सिर्फ दो बातें कहना चाहूंगी .... कांग्रेस के इतने लम्बे शासन काल के बाद भी देश कि दुर्दशा कि ज़िम्मेदारी क्या सिर्फ राज़ करने वालों कि बनती है , और कब तक हम पुरानी बातों का राग अलाप कर अपनी ज़िम्मेदारी , एक आम भारतीय कि ज़िम्मेदारी से भागते रहेंगे ...देश को स्वतंत्र हुए इतना समय हो गया है और आब तक हम सभी को ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि राजनीतिज्ञों के भरोसे देश को झोड़ना हमारी गलती थी ..तो क्यूँ नही हम इस गलती को सुधार लेते ...

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  9. एक प्रश्न पूछना चाहती हूँ ....क्या हम भारतीय अपने भारत को इतना प्यार करते हैं कि उसके उत्थान के लिए बिना दूसरो में कमियाँ निकले अपने कर्तव्यों का निर्वाह करे ...

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