Saturday 9 July 2011

क्या कहते हैं आपके नैना

मखमली बिस्तर पर पले इस राजकुमार में ही इतनी ताकत थी कि INDIA से भारत का फासला तय कर पाता व महसूस कर पाता इस दर्द को . मैं और आप भी जिन रास्तो पर चलने से घबराते हेँ उन रास्तों कि चुभन व तपिश भी फूलों में पले इस राजकुमार के इरादों के आरे न आ पाई .
...यूँ पल भर बोझ उठा कर दिखाना , आपकी तो बस अदा है जो कल अखबार की सुर्खियाँ बन बहुत लोगों के आकर्षण का कारण बनेगी, पर ब्रांडेड कपडे व जूते पहन कर प्लास्टिक का टब हाथ में लिए साहब आप क्या जान पायेगें, इन पथरीले रास्तों की चुभन और ताउम्र न ख़त्म होने वाली बोझ उठाने की सजा को . आपकी ये अदा आपको तो आपके इरादों में सफलता दिला देगी पर उसकी जिन्दगी को कितना बदल पायेगी?

2 comments:

  1. whats the view u r showing but agreed with second one

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  2. वाह वाह क्या लिखा है....दोनों पक्षों को काफी सही से रखा है ..जहाँ तक मेरे नज़रिए का सवाल है , मेरे हिसाब से तो हम सभी लगभग हर काम किसी न किसी स्वार्थ की वजह से ही करते हैं..चाहे वो स्वार्थ इतना ही क्यूँ न हो की हमें वो काम करने से संतुष्टि मिलती है .इसलिए यहाँ जो ये ऐशो आराम में पले बढे राजकुमार कर रहा है उसके पीछे कोई न कोई स्वार्थ तो होगा ही ..लेकिन जो भी वो कर रहा है वो बिना किसी संदेह के प्रशंसनीय है ..

    जहाँ तक बात है उस औरत के जीवन को बदल पाने की , तो हम सभी को अपने दुःख , मुसीबतें से खुद ही लड़ना पड़ता है .....हमारे कितने भी करीबी लोग हो , उनके दुःख में हम लोग सिर्फ उनकी बात सुनकर उनके साथ कुछ कदम चल सकते हैं , सबको सफ़र तो अपना अपना खुद ही तय करना पड़ता है ....ये भी यहाँ औरत को यही एहसास दे रहा है ....काम के पीछे का स्वार्थ कुछ भी हो लेकिन अगर काम अच्छा है तो ज्यादा विश्लेषण किये बिना उसकी प्रशंसा करनी चाहिए ..

    कम से कम ये खुद को सिक्कों से तो नही तुलवा रहा ..जहाँ तक बात है plastic tub aur branded shoes की तो क्या हम , भारत के आम लोग भी ये सब पहन कर ये काम कभी करेंगे , सिर्फ इस औरत के साथ कुछ कदम चलने के लिए .....

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